• Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 60

  • 2024/12/24
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Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 60

  • サマリー

  • स्वभावजेन कौन्तेय - भगवद गीता अध्याय 18 श्लोक 60 | Shrimad Bhagavad Gita 18.60

    Description:
    भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: "हे कौन्तेय! तुम अपने स्वभाव के अनुसार अपने कर्मों से बंधे हुए हो। मोहवश जो कार्य करने की इच्छा नहीं रखते, वह भी तुम्हें अवश्य करना पड़ेगा, क्योंकि प्रकृति तुम्हें उससे बांधती है।" यह श्लोक कर्तव्य, स्वभाव, और नियति की अपरिहार्यता को दर्शाता है।

    Hashtags:
    #BhagavadGita #GeetaShlok #SelfDuty #KarmaPhilosophy #SpiritualWisdom #LifeLessons #KrishnaTeachings #DestinyAndAction #EternalWisdom #भगवद्गीता #श्रीकृष्ण #कर्तव्य #जीवनसत्य #आध्यात्मिकज्ञान

    Tags:
    भगवद गीता, गीता श्लोक, श्रीमद भगवद गीता, अध्याय 18, श्लोक 60, स्वभाव का बंधन, कर्म का नियम, जीवन का सत्य, धर्म का पालन, आत्मज्ञान, श्रीकृष्ण के उपदेश, आध्यात्मिक मार्गदर्शन।

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あらすじ・解説

स्वभावजेन कौन्तेय - भगवद गीता अध्याय 18 श्लोक 60 | Shrimad Bhagavad Gita 18.60

Description:
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: "हे कौन्तेय! तुम अपने स्वभाव के अनुसार अपने कर्मों से बंधे हुए हो। मोहवश जो कार्य करने की इच्छा नहीं रखते, वह भी तुम्हें अवश्य करना पड़ेगा, क्योंकि प्रकृति तुम्हें उससे बांधती है।" यह श्लोक कर्तव्य, स्वभाव, और नियति की अपरिहार्यता को दर्शाता है।

Hashtags:
#BhagavadGita #GeetaShlok #SelfDuty #KarmaPhilosophy #SpiritualWisdom #LifeLessons #KrishnaTeachings #DestinyAndAction #EternalWisdom #भगवद्गीता #श्रीकृष्ण #कर्तव्य #जीवनसत्य #आध्यात्मिकज्ञान

Tags:
भगवद गीता, गीता श्लोक, श्रीमद भगवद गीता, अध्याय 18, श्लोक 60, स्वभाव का बंधन, कर्म का नियम, जीवन का सत्य, धर्म का पालन, आत्मज्ञान, श्रीकृष्ण के उपदेश, आध्यात्मिक मार्गदर्शन।

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