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サマリー
あらすじ・解説
स्वभावजेन कौन्तेय - भगवद गीता अध्याय 18 श्लोक 60 | Shrimad Bhagavad Gita 18.60
Description:
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: "हे कौन्तेय! तुम अपने स्वभाव के अनुसार अपने कर्मों से बंधे हुए हो। मोहवश जो कार्य करने की इच्छा नहीं रखते, वह भी तुम्हें अवश्य करना पड़ेगा, क्योंकि प्रकृति तुम्हें उससे बांधती है।" यह श्लोक कर्तव्य, स्वभाव, और नियति की अपरिहार्यता को दर्शाता है।
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