• Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 58

  • 2024/12/22
  • 再生時間: 1 分
  • ポッドキャスト

Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 58

  • サマリー

  • भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश | श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 18 श्लोक 58

    Description:
    श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 18 के श्लोक 58 में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि यदि तुम अपने मन को मुझमें समर्पित कर दोगे, तो सभी संकटों से पार पा सकोगे। अगर तुम अहंकार को छोड़कर मेरी सुनोगे, तो तुम अपने जीवन में शांति और सफलता प्राप्त करोगे। इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश जीवन के कठिन रास्तों से मुक्ति पाने के लिए सही मार्ग पर चलने का है।

    Tags:
    श्रीमद्भगवद्गीता, भगवान श्रीकृष्ण, कर्मयोग, भक्ति योग, अहंकार, समर्पण, संकटों से मुक्ति, जीवन के उद्देश्य, शांति की प्राप्ति, भगवद्गीता श्लोक, ज्ञान, अध्यात्मिक उन्नति, जीवन में शांति, आध्यात्मिक विकास

    Hashtags:
    #श्रीमद्भगवद्गीता #भगवान_श्रीकृष्ण #कर्मयोग #भक्तियोग #अहंकार #समर्पण #शांति #कठिनाइयों_से_मुक्ति #जीवन_का_उद्देश्य #आध्यात्मिकज्ञान #BhagavadGita #KarmaYoga #BhaktiYoga #SelfRealization #SpiritualWisdom #KrishnaTeachings #PeaceInLife

    続きを読む 一部表示

あらすじ・解説

भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश | श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 18 श्लोक 58

Description:
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 18 के श्लोक 58 में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि यदि तुम अपने मन को मुझमें समर्पित कर दोगे, तो सभी संकटों से पार पा सकोगे। अगर तुम अहंकार को छोड़कर मेरी सुनोगे, तो तुम अपने जीवन में शांति और सफलता प्राप्त करोगे। इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश जीवन के कठिन रास्तों से मुक्ति पाने के लिए सही मार्ग पर चलने का है।

Tags:
श्रीमद्भगवद्गीता, भगवान श्रीकृष्ण, कर्मयोग, भक्ति योग, अहंकार, समर्पण, संकटों से मुक्ति, जीवन के उद्देश्य, शांति की प्राप्ति, भगवद्गीता श्लोक, ज्ञान, अध्यात्मिक उन्नति, जीवन में शांति, आध्यात्मिक विकास

Hashtags:
#श्रीमद्भगवद्गीता #भगवान_श्रीकृष्ण #कर्मयोग #भक्तियोग #अहंकार #समर्पण #शांति #कठिनाइयों_से_मुक्ति #जीवन_का_उद्देश्य #आध्यात्मिकज्ञान #BhagavadGita #KarmaYoga #BhaktiYoga #SelfRealization #SpiritualWisdom #KrishnaTeachings #PeaceInLife

Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 58に寄せられたリスナーの声

カスタマーレビュー:以下のタブを選択することで、他のサイトのレビューをご覧になれます。