エピソード

  • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: महिलाओं को 'ना' कहना सीखना होगा
    2021/03/08
    महिलाओं ने तमाम बंदिशों, रुकावटों और बाधाओं को पार करते हुए हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहराया है. तो आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इस स्पेशल पॉडकास्ट में पूनम कौशल के साथ सुनिए महिलाओं के दिल की आवाज़.
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    22 分
  • भारत में इलाज के लिए होने वाली सर्जरी की दर कम क्यों है? : पॉड ख़ास, Ep 692
    2021/02/07
    Lancet Commission for Global Survey के अनुमान के मुताबिक़ भारत जैसे देशों में 5000 सर्जरी की आवश्यकता है हर एक लाख बीमार व्यक्ति के लिए जो की मिडिल क्लास या उससे नीचे की कैटेगरी से आता है. लेकिन pan-India surgery market report के अनुसार भारत में केवल 1,463 सर्जरी होती हैं हर एक लाख व्यक्ति पर, तो ये दर इतनी कम क्यों है. इसी को लेकर अमन गुप्ता ने बात की डॉ. ईश्वर पी. गिलाडा से.
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    21 分
  • मौजूदा बजट से डिफेंस सेक्टर में क्या बड़े बदलाव के संकेत मिलते हैं: पॉड ख़ास, Ep 691
    2021/02/05
    इस साल के बजट में डिफेंस सेक्टर के लिए जो एलोकेशन हुआ है, क्या यह पर्याप्त है? क्या यह हमारी ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम है? चीन और पाकिस्तान की तुलना में हमारे रक्षा बजट की क्या स्थिति है और इसमें कितनी बढ़ोतरी करने की ज़रूरत है? पॉडख़ास में इसी विषय पर सुनिए डिफेन्स एक्सपर्ट और इंडिया टुडे के सीनियर जर्नलिस्ट संदीप उन्नीथन के साथ रितु राज की बातचीत.
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    27 分
  • भारत में क्यों तख़्तापलट नहीं हो सकता? पॉडख़ास, Ep 690
    2021/02/04
    जब कहीं तख्तापलट होता है तो मन में सवाल जरूर आते हैं कि क्यों ऐसा होता है. पता कैसे चलता है कि तख्तापलट हुआ है? तख्तापलट के बाद आगे की राह कैसी होती है? दुनिया में सबसे ज्यादा तख़्तापलट किन क्षेत्रों में होता है क्या कारण होते हैं? और क्यों कहा जाता है कि भारत में तख़्तपलट नहीं हो सकता? इन सब मसलों पर अमन गुप्ता ने बात की ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन दिल्ली में स्टडीज़ एंड हेड ऑफ़ स्ट्रेटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम के डायरेक्टर प्रोफे़सर पंत से.
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    33 分
  • सरकारी संपत्ति बेचने पर क्यों आमादा है सरकार: पॉड ख़ास, Ep 689
    2021/02/03
    बजट में सरकारी विनिवेश को लेकर खूब बातें हो रही हैं. कई कंपनियों के विनिवेश की बात कही गयी है. तो क्या इसे सरकारी सेल कहना उचित है? क्या सरकार के पास अपनी संपत्ति बेचने के अलावा और कोई चारा ही नहीं था और सरकार की यह पॉलिसी भविष्य में किस ओर जाती दिख रही है, पॉडख़ास में इसी मसले पर सुनिए इंडिया टुडे हिंदी पत्रिका के एडिटर और आर्थिक मामलों के जानकार अंशुमान तिवारी के साथ रितु राज की बातचीत.
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    19 分
  • तुलसी के रामचरित मानस को भोजपुरी रंग देने वाले शख़्स से मिलिए: पॉड ख़ास, Ep 688
    2021/02/02
    तुलसीदास रचित रामचरितमानस को लोग अपने अपने अंदाज़ में पढ़ते और गाते रहे हैं. मगर बिहार के एक शिक्षक रामचरितमानस को अपने अंदाज़ में लिख रहे हैं. पीयूष मोहन इनका नाम है और इन्होंने अवधी भाषा में लिखे इस काव्यग्रंथ को भोजपुरी में लिखने की ठानी है. तो इन्हें यह प्रेरणा कहां से मिली और अबतक का अनुभव कैसा रहा, पॉडख़ास में अमन गुप्ता के साथ सुनिए इनकी बातचीत.
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    16 分
  • आसान भाषा में बजट का लब्बोलुआब समझिए: पॉड ख़ास, Ep 687
    2021/02/01
    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना बजट भाषण संसद में दे दिया, लेकिन ज़रूरी नहीं है कि उनकी हर बात आपके पल्ले पड़ी हो. तो पॉडख़ास में आपका काम आसान कर रहे हैं रितु राज, इसके लिए उन्होंने बात की आर्थिक मामलों के जानकार शुभम शंखधर से और बजट से निकाली वो बातें जिसका सीधा नाता आपसे और आपकी जेब से है. सुनिए इन दोनों की ये बातचीत.
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    25 分
  • क़ानून होने के बावजूद क्यों नहीं रुकता राजनेताओं का दल-बदल : पॉड ख़ास, Ep 686
    2021/01/31
    लोकनीति-सीएसडीएस के रिसर्च फैलो की स्टडी रिपोर्ट सामने आई है. इसमें दल-बदल से जुड़ा एक आंकड़ा दिया गया है. आंकड़ा ये है कि 2017 से 2020 तक पद पर रहते हुए 168 सांसद-विधायकों ने दल-बदल किया है. और दल-बदल करने वालों में भी 82 फ़ीसदी यानी 138 लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को चुना तो दल बदल क़ानून होने के बावजूद देश में इधर चला मैं, उधर चला क्यों होता रहता है. और कैसे प्रभावी बनेगा ये क़ानून इसी मसले पर पॉडख़ास में अमन गुप्ता ने बात की राजनीतिक विश्लेषक, लेखक और वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी से.
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