エピソード

  • मुनियों के लिए होता है दिन अज्ञानता की रात्रि | श्लोका-Everyday
    2024/12/24

    जिसे सब लोग दिन समझते हैं वह आत्मसंयमी के लिए अज्ञानता की रात्रि है तथा जो सब जीवों के लिए रात्रि है, वह आत्मविश्लेषी मुनियों के लिए दिन है।

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  • योगीजन केवल अपने शुद्धिकरण के उद्देश्य से कर्म करते हैं | श्लोका- Everyday
    2024/12/17

    योगीजन आसक्ति को त्याग कर अपने शरीर, इन्द्रिय, मन और बुद्धि द्वारा केवल अपने शुद्धिकरण के उद्देश्य से कर्म करते हैं |

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  • आत्मा शाश्वत, सर्वव्यापी, अपरिर्वतनीय, अचल और अनादि है | श्लोका - Everyday
    2024/12/04

    आत्मा अखंडित और अज्वलनशील है, इसे न तो गीला किया जा सकता है और न ही सुखाया जा सकता है। यह आत्मा शाश्वत, सर्वव्यापी, अपरिर्वतनीय, अचल और अनादि है

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  • आइए जानते हैं वह कौन लोग है जो कृष्ण को नहीं भजते | श्लोका - Everyday
    2024/11/28

    चार प्रकार के लोग मेरी शरण ग्रहण नहीं करते-वे जो ज्ञान से वंचित हैं, वे जो अपनी निकृष्ट प्रवृति के कारण मुझे जानने में समर्थ होकर भी आलस्य के अधीन होकर मुझे जानने का प्रयास नहीं करते, जिनकी बुद्धि भ्रमित है और जो आसुरी प्रवृति के हैं।

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  • क्या है संन्यास योग और कर्म योग ? | श्लोका Everyday
    2024/11/22

    सुनिए भगवतगीता से यह श्लोक, जो बताएगा आपको क्या होता है कर्म योग और संन्यास योग |

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  • किसका अनुसरण करता है सारा संसार ? सुनिए श्लोक
    2024/11/08

    महापुरुष जो भी कर्म करते हैं, सामान्य जन उनका पालन करते हैं, वे जो भी आदर्श स्थापित करते हैं, सारा संसार उनका अनुसरण करता है।

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  • कैसे उत्पन्न होता है क्रोध ? सुनिए श्रीमद्भगवद्गीता का यह श्लोक | श्लोका- Everyday
    2024/11/04

    इन्द्रियों के विषयों का चिंतन करते हुए मनुष्य उनमें आसक्त हो जाता है और आसक्ति कामना की ओर ले जाती है और कामना से क्रोध उत्पन्न होता है।

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  • किन मनुष्यों को माना जाना हैं नित्य संन्यासी ? | श्लोका- Everyday
    2024/10/22

    वे कर्मयोगी जो न तो कोई कामना करते हैं और न ही किसी से घृणा करते हैं उन्हें नित्य संन्यासी माना जाना चाहिए। हे महाबाहु अर्जुन! सभी प्रकार के द्वन्द्वों से मुक्त होने के कारण वे माया के बंधनों से सरलता से मुक्ति पा लेते हैं।

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