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サマリー
あらすじ・解説
लिजिए सुनिये मेरी क़िताब कामिनी से एक और नई कविता!!
चेहरा है अंजाना सही, पर आवाज़ पहचानी लगती है
तू है किसी और की बाँहों में लेकिन, मेरी दीवानी लगती है
तेरे मुखड़े की शिकन मुझे क्यों जाने बेमानी लगती है
नई बोतल में बंद तू कोई शराब पुरानी लगती है
बड़े करीबी से तुझको महसूस किया सा लगता है
तू मेरी कोई भूली सी आदत पुरानी लगती है
जो गुनगुना रही है तू, गीत जो सुना रही
बोल हैं ये नए मगर ये धुन पुरानी लगती है
आज तूने चाहे अपने बाग़ हो बदल लिए
लेकिन तेरी इन फूलों से चाहत पुरानी लगती है
जिस्म तेरा ज़ेवरों की जंज़ीर से जकड़ा हुआपर रूह के फरार होने की आदत पुरानी लगती ह
तू ये जाने या ना जाने, तार ये जुड़ा है क्या
तार के हर धागे में लगी ये सूत पुरानी लगती है
तेरी आँखें और बातें मेल ही खाते नहीं
उस हंसी में है दबी जो वो टीस पुरानी लगती है
रंग बिखरे हैं परे जो तेरी दामन के तले
कोरी तेरी उस चुनर की उदासी पुरानी लगती है
आज तू जो देखती है मुझको गैर नजरों से
पर तेरे बुलावे में जो अंदाज़ पुरानी लगती हैै