• इसे तुम कविता नहीं कह सकते

  • 著者: Lokesh Gulyani
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इसे तुम कविता नहीं कह सकते

著者: Lokesh Gulyani
  • サマリー

  • Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
    Copyright Lokesh Gulyani
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あらすじ・解説

Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
Copyright Lokesh Gulyani
エピソード
  • Episode 28 - मेरे ठेंगे पे (FoMo)
    2024/12/18
    सुबह उठने के साथ ही यही एक मात्र चिंता कि मैं दिख नहीं रहा, मैं बिक नहीं रहा, FoMo का शिकार मैं, गैलरी खंगाल कर एक पोस्ट का इक़बाल बुलंद करता हूं। मेरे वजूद के लिए चलो कोई तो लड़ रहा है। अब मेरी ओर झांकोगे तो मुझे भी जिंदा पाओगे।
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    3 分
  • Episode 27 - गिरवी कृतज्ञता
    2024/12/13
    जब तुम ठुकरा देते हो, एक गोल रोटी को, तो तुम ठुकरा देते हो बहुत से लोगों की मेहनत।
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    4 分
  • Episode 26 - पहचान मेरी
    2024/11/29
    मैं गिरता जा रहा हूँ, साल दर साल। झुकी नज़रें, झुकी कमर, एक झुका हुआ इंसान। कोई प्रतिक्रिया देने में इच्छुक नहीं, दुनियां जाए भाड़ में। जीभ पर फैला कड़वापन कुछ भी बोलने से रोकता है। बोलूंगा तो वो तीखा ही होगा।
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    3 分

इसे तुम कविता नहीं कह सकतेに寄せられたリスナーの声

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